श्री गणेश जी का असली नाम क्या है, मां पार्वती ने श्री गणेश जी का क्या नाम रखे थे

भगवान श्री गणेश जी को अनेक नामों से जाना जाता है। जैसे गणेश, गजानंद, एकदंत, विघ्न विनाशक आदि। पर क्या आप लोग जानते हैं इन सभी में उनका असली नाम कौन सा है। आज के पोस्ट में हम श्री गणेश जी का असली नाम कौन सा है यह जानेंगे।

श्री गणेश जी को मां पार्वती के द्वारा दिया हुआ असली नाम कौन सा है

भगवान श्री गणेश जी को अनेक नाम से जाना जाता है और वह सभी नाम एक प्रकार से उनका उपाधि स्वरूप बना हुआ नाम है। भगवान श्री गणेश जी को गणपति इसलिए कहते हैं क्योंकि वह सभी गणों में प्रमुख हैं।



उन्हें गणेश इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह गणों के ईश अर्थात सभी गणों के ईश्वर स्वरूप है। श्री गणेश जी को गजानंद के नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि उनका मुख गज यानी हाथी के मुख के समान है इसलिए उन्हें गजानन कहते हैं। उनको एकदंत इसलिए कहते हैं क्योंकि उनका एक ही दांत है।

इस तरह श्री गणेश जी की कई नाम है पर यह सभी नाम श्री गणेश जी को उपाधि स्वरूप मिला हुआ नाम है। यह सभी नाम उनका असली नाम नहीं है।

कहते हैं कि भगवान श्री गणेशजी का मस्तक या सिर कटने के पूर्व मां पार्वती ने उनका नाम विनायक रखा था। कहते हैं कि जब माता पार्वती ने उनकी उत्पत्ति की थी तब उनका नाम विनायक रखा था। विनायक अर्थात नायकों का नायक, विशेष नायक।



परंतु जब श्री शिव जी के द्वारा उनका मस्तक काटा गया और फिर उस पर हाथी ( गज ) का मस्तक लगाया गया तो सभी उन्हें गजानन कहने लगे। फिर जब उन्हें गणों का प्रमुख बनाया गया तो उन्हें गणपति और गणेश कहने लगे।



एक अन्य कथा के अनुसार शनि की दृष्टि पड़ने से शिशु गणेश का सिर जलकर भस्म हो गया था। इससे मां पार्वती बहुत दुःखी हो गई। इस पर मां पार्वती (सती नहीं) को दुःखी देखकर ब्रह्माजी ने पार्वती से कहा- ‘जिसका सिर सर्वप्रथम मिले उसे गणेश के सिर पर लगा दो।’ पहला सिर हाथी के बच्चे का ही मिला। इस प्रकार गणेश ‘गजानन’ बन गए।

वहीं दूसरी कथा के अनुसार गणेशजी को द्वार पर बिठाकर पार्वतीजी स्नान करने लगीं। इतने में शिव आए और पार्वती के भवन में प्रवेश करने लगे। गणेशजी ने जब उन्हें रोका तो क्रुद्ध शिव ने उनका सिर काट दिया। जब पार्वतीजी ने देखा कि उनके बेटे का सिर काट दिया गया है तो वे क्रोधित हो उठीं। उनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव ने एक हाथी के बच्चे का सिर गणेशजी के सिर पर लगा दिया और वह जी उठा।

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