Ganesh Chalisa Benefits: श्री गणेश चालीसा के 11 फायदे व महत्व

हमारे हिंदू धर्म में विघ्नहर्ता श्री गणेश जी को प्रथम पुजनीय देवता माना जाता है। श्री गणेश जी की पुजा आराधना में श्री गणेश चालीसा का विशेष महत्व है। आज हम श्री गणेश चालीसा के पाठ से होने वाले फायदे व लाभ के बारे में बात करेंगे। आइए अब आज के लेख में हम क्या क्या जानेंगे उस पर नज़र डालते हैं :-

  1. श्री गणेश चालीसा का महत्व
  2. श्री गणेश चालीसा पाठ के फायदे व लाभ
  3. श्री गणेश चालीसा पाठ की विधि व सावधानियां
  4. श्री गणेश जी कौन है ?
  5. श्री गणेश जी की पहले पूजा क्यों होती है ?

1. श्री गणेश चालीसा का महत्व

लोग श्री गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए उनके पसंद की वस्तुओं का प्रयोग पूजा में करते हैं। ताकि वह खुश हो कर जल्द उनकी मुराद पूरी करें। ऐसे में भगवान गणेश को घी, मोदक, दूर्वा आदि बेहद पसंद है।

इन सबके अलावा एक और भी चीज़ है जिससे आप श्री गणेश को आसानी से प्रसन्न कर सकते हैं, और वो है श्री गणेश चालीसा।

गणेश चालीसा का सर्वाधिक महत्व यह है कि गणेश चालीसा में भगवान श्री गणेश के जन्म, पराक्रम व उनकी महिमा का विस्तार से उल्लेख किया गया है। जिससे हम शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। अपने जीवन में उतार सकते हैं।

गणेश चालीसा के नियमित पाठ करने से घर परिवार में सुख-शांति व समृद्धि बनी रहती है। घर के सभी सदस्यों के मन में आत्मविश्वास की जागृति होती है। साथ ही साथ नई उमंग का भी संचार होता है।

श्री गणेश की कृपा से गणेश चालीसा का पाठ करने वाले व्यक्ति को रिद्धि सिद्धि बुद्धि व ज्ञान विवेक की प्राप्ति होती है।

2. श्री गणेश चालीसा पाठ के फायदे व लाभ

हिंदू धर्म में त्रिनेत्रधारी श्री भोलेनाथ शिव शंकर व माता पार्वती जी की दूसरी संतान के तौर पर श्री गणेश जी को बेहद पूजनीय और श्रद्धेय माना जाता है। साथ ही साथ श्री गणेश जी को “सिद्धिविनायक’’ की उपाधि भी मिली हुई है। जिसकी वजह से इनका गुणगाण तीनो लोको में अनंत काल से होता आया है।

सच्चे मन से श्री गणेश जी की पूजा आराधना व श्री गणेश चालीसा का पाठ करने से क्या क्या फायदे होता है, आइए जानते हैं :-

    • श्री गणेश चालीसा के नियमित पाठ से श्री गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है।
    • श्री गणेश जी की कृपा से धन संपत्ति रिद्धि सिद्धि की प्राप्ति होती है।
    • गणेश चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में खुशियां आती है। श्री गणेश जी हमारे जीवन के सारे दुख तकलीफ दूर करते हैं। दुखों से लड़ने की ताकत हौसला मिलती हैं।
    • श्री गणेश जी को विघ्नहर्ता कहते हैं। श्री गणेश चालीसा के नियमित पाठ से हमारे जीवन की सारी विघ्न, बाधायें, विपत्तियां दूर होती है।
    • श्री गणेश चालीसा का नियमित पाठ करने से घर परिवार में सुख शांति व समृद्धि बनी रहती है।
    • सच्चे मन से श्री गणेश जी की आराधना करने से घर में खुशहाली, व्यापार में बरकत और हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
    • विद्यार्थी वर्ग के लिए भी गणेश जी की वंदना काफी लाभदायक होता है। विद्या अध्ययन में बहुत मदद मिलती है। ध्यानपूर्वक गणेश चालीसा का पाठ करने से एकाग्रता बढ़ती है और इस तरह पढ़ाई में अच्छा मन लगता है।
    • श्री गणेश जी शत्रुओं का विनाष करते हैं। अगर आप शत्रुओं से परेशान हैं। शत्रु लोग कोई भी काम बनने नहीं देता है, तो ऐसे में आपको श्री गणेश जी की आराधना श्री गणेश चालीसा का पाठ करना चाहिए।
    • श्री गणेश जी की पूजा श्री गणेश चालीसा के पाठ से शादी विवाह में आ रही देरी, परेशानियां दूर होती है। श्री गणेश जी की कृपा से शीघ्र शादी के योग बनते हैं।
    • श्री गणेश चालीसा के नियमित पाठ से बुध दोष की ग्रह दशा समाप्त होती है।
    • श्री गणेश चालीसा के नियमित पाठ से स्वास्थ्य समस्याएं दूर होती हैं। व्यक्ति के जीवन से तनाव अवसाद दूर होती है। सकारात्मक सोच उत्पन्न होती है। जिससे व्यक्ति के जीवन में जोश, उत्साह, उमंग बना रहता है।

3. श्री गणेश चालीसा पाठ विधि

प्रतिदिन नियम से श्री गणेश की पूजा करने वाले भक्तों के जीवन से दुख की काली छाया दूर हो जाती है। श्री गणेश जी की पूजा के साथ श्री गणेश चालीसा का पाठ सही विधि के साथ करने से श्री गणेश जी की शीघ्र कृपा प्राप्त होती है। जिससे व्यक्ति को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं श्री गणेश चालीसा का पाठ करने की सही विधि क्या है :-

श्री गणेश जी की पूजा व चालीसा पाठ के लिए प्रातः काल व संध्या का समय सर्वोत्तम माना गया है।

गणेश चालीसा पाठ के दौरान ज़रूर बरतें ये सावधानियां

  • श्री गणेश चालीसा का पाठ हमेशा साफ़ सुथरे और धुले वस्त्र पहन कर ही करें।
  • चालीसा का पाठ करने के दौरान मन में किसी प्रकार की बुरे ख्याल ना आने पाए
  • चालीसा जाप के समय प्रसाद के रूप में बूंदी के लड्डू और मोदक ही चढ़ाएं।
  • चालीसा पाठ के समय श्री गणेश जी की मूर्ति पर दुर्वा चढ़ाना ना भूलें।
  • श्री गणेश चालीसा का पाठ करते समय हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख रखें।
  • गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान भी अवश्य करें।

4. श्री गणेश जी कौन है?

श्री गणेश जी माता पार्वती व भगवान शंकर जी के पुत्र है। डिंक नामक मुषक इनका वाहन है। ज्योतिष में इनको केतु का देवता माना जाता है। श्री गणेश जी गणो के स्वामी है इसलिए इनको गणपति के नाम से भी जाना जाता है। श्री गणेश जी के सिर हाथी के सिर के समान है इसलिए इनको गजानन भी कहते हैं।

माता- भगवती पार्वती

पिता – श्री शंकर जी

भाई- श्री कार्तिकेय (बड़े भाई)

बहन- अशोकसुन्दरी

पत्नी- दो (1) ऋद्धि (2) सिद्धि (दक्षिण भारतीय संस्कृति में श्री गणेशजी को ब्रह्मचारी रूप में दर्शाये गये हैं)

पुत्र- दो 1. शुभ 2. लाभ

प्रिय भोग (मिष्ठान्न)- मोदक, लड्डू

प्रिय पुष्प- लाल रंग के

प्रिय वस्तु- दुर्वा (दूब), शमी-पत्र

अधिपति- जल तत्व के

प्रमुख अस्त्र- पाश, अंकुश

वाहन – मूषक

5. गणेश जी की पूजा पहले क्यो होती है ?

शास्त्रों में किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले श्री गणेश जी की पूजा का विधान है। जैसे शादी विवाह, यज्ञ आदि। अब सवाल ये है कि महादेव, ब्रम्हा विष्णु को हिन्दुओं के सर्वोपरि देवता माना जाता है। फिर पहले पुजा उनका होना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं होता है, क्यों ?

शिव पुराण में उल्लेखीत कथा अनुसार एक बार देवताओं में इस बात पर बहस होने लगा कि प्रथम पुज्य देवता कौन है। किस देवता का पहले पुजा होना चाहिए। सभी देवता अपने को श्रेष्ठ बताने लगे। सभी चाहते थे कि पहले पुजा उनका हो। विवाद को बढ़ते देखकर श्री नारद जी सभी को महादेव से निराकरण कराने का आग्रह करते हैं। सभी देवता ‌श्री महादेव जी के पास जाते हैं। उनसे इस विवाद का निराकरण करने की विनती करते हैं।

श्री भोलेनाथ महादेव सभी देवताओं से कहते हैं कि क्या आप सभी हमारे निर्णय को स्वेक्षा से मानने को तैयार हैं? सभी देवता उनके निर्णय को मानने के लिए तैयार हो गए। श्री भोलेनाथ जी कहते हैं कि आप सभी अपने अपने वाहन में बैठकर पुरे धरती का तीन परिक्रमा लगायेंगे। जो सबसे पहले परिक्रमा पुरा करेंगे उन्हें प्रथम पुज्य घोषित किया जाएगा।

सभी देवता ‌श्री महादेव जी को प्रणाम कर अपने अपने वाहन से धरती की तीन परिक्रमा करने के लिए निकल पड़े। विघ्नहर्ता श्री गणेश जी भी उन देवताओं में शामिल था। सभी देवता अपने वाहन से धरती की तीन परिक्रमा करने के लिए निकल पड़े किंतु श्री गणेश जी वहीं रुक गये।

श्री गणेश जी की वाहन मुषक है। मुषक में बैठकर पुरे धरती का सबसे पहले तीन परिक्रमा लगाना संभव नहीं था। श्री गणेश जी ने बुद्धि से काम लिया। वे जानते थे कि संसार में माता पिता से बड़ा कोई नहीं है। उन्होंने अपने माता-पिता को प्रणाम किया और उनका तीन बार परिक्रमा करके हाथ जोड़कर खड़े हो गए।

जब सभी देवता अपनी अपनी परिक्रमा पूरी करके लौट आए। तब भगवान शिव जी ने प्रतियोगिता का विजेता श्री गणेश जी को घोषित कर दिया। उन्होंने गणेश जी को प्रथम पुज्य होने का आशीर्वाद दिया।

सभी देवता शिव जी की यह निर्णय सुनकर अचंभित हुए। वे भगवान शिव जी से कारण पुछते हैं।

तब शिवजी ने उन्हें बताया कि माता-पिता को पुरे ब्रह्माण्ड एवं समस्त लोक में सर्वोच्च स्थान दिया गया है। उन्हे देवताओं व समस्त सृष्टि से भी उच्च माने गए हैं।

पुत्र गणेश ने अपनी बुद्धि और विवेक का परिचय दिया। उन्होंने अपने माता-पिता को सर्वोपरी माना और अपने माता-पिता का तीन बार परिक्रमा किया। इसलिए उन्हें प्रथम पुज्य होने का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। तब सभी देवता, भगवान शिव के इस निर्णय से सहमत हुए। तभी से गणेश जी को सर्वप्रथम पूज्य माना जाने लगा।

Also Read

1. श्री गणेश चालीसा लिरिक्स

2. श्री गणेश जी की आरती ( तीनों आरती )

3. श्री गणेश आरती व गणेश पूजा में प्रयोग होने वाले मंत्रो की जानकारी 

दोस्तों आज हमने श्री गणेश चालीसा पाठ के फायदे व लाभ के बारे में जानकारी प्राप्त किया। आप अपनी राय या सुझाव हमें कामेंट बाक्स में बता सकते हैं। हमारे सभी आर्टिकल का लिस्ट देखने के लिए साइटमैप पर क्लिक करें।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *