Ham Katha Sunate Ram Sakal Lyrics हम कथा सुनाते राम सकल

हम कथा सुनाते राम सकल यह सूंदर गीत रामानंद सागर कृत रामायण लव कुश कांड से लिया गया है। आइए अब नज़र डालते हैं और जानते हैं कि आज के लेख में हम क्या क्या जानेंगे :-

1. हम कथा सुनाते राम सकल Lyrics हिंदी में

2. हम कथा सुनाते राम सकल – विडियो

3. हम कथा सुनाते राम सकल – MP3 रिंगटोन डाउनलोड

4. Ham Katha Sunate Ram Sakal Lyrics in English

1. हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम Lyrics : हिंदी में

गीत के बोल

ॐ श्री महा गणाधि पते नमः

ॐ श्री उमामहेश्वरा भ्या नमः

वाल्मीकि गुरुदेव के

कर पंकज तीर नाम

सुमिरे मात सरस्वती

हम पर हो हु सहाय

मात पीता की वंदना

करते बारंबार

गुरुजन राजा प्रजाजन

नमन करो स्वीकार

हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की

हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की

ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की

जंबू द्वीपे, भरत खंडे, आर्यावरते

भारत वर्षे एक नगरी है

विख्यात अयोध्या नाम की

यही जन्म भूमि है परम पूज्य श्री राम की

हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की

ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की

ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की

रघुकुल के राजा धरमात्मा

चक्रवर्ती दशरथ पुण्यात्मा

संतति हेतु यज्ञ करवाया

धर्म यज्ञ का शुभफल पाया

नृप घर जन्मे चार कुमारा

रघुकुल दीप जगत आधारा

चारों भ्रातो के शुभ नामा

भरत शत्रुग्न लक्ष्मण रामा

गुरु वशीष्ठ के गुरुकुल जाके

अल्प काल विद्या सब पाके

पुरन हुयी शिक्षा, रघुवर पुरन काम की

हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की

ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की

मृदुस्वर कोमल भावना

रोचक प्रस्तुति ढंग

एक एक कर वर्णन करे

लव कुश राम प्रसंग

विश्वामित्र महामुनि राई

इनके संग चले दो भाई

कैसे राम ताड़का मारी

कैसे नाथ अहिल्या तारी

मुनिवर विश्वामित्र तब

संग ले लक्ष्मण राम

सिया स्वयंवर देखने

पहुचे मिथिला धाम

जनकपुर उत्सव है भारी

जनकपुर उत्सव है भारी

अपने वर का चयन करेगी

सीता सुकुमारी

जनकपुर उत्सव है भारी

जनक राज का कठिन प्रण

सुनो सुनो सब कोई

जो तोड़े शिव धनुष को

सो सीता पति होई

जो तोडे शिव धनुष कठोर

सब की दृष्टि राम की ओर

राम विनयगुण के अवतार

गुरुवर की आज्ञा सिरद्धार

सेहेज भाव से शिव धनु तोड़ा

जनक सुता संग नाता जोड़ा

रघुवर जैसा और ना कोई

सीता की समता नहीं होई

जो करे पराजित कान्ति कोटी रति काम की

हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की

ये रामायण है पुण्य कथा सिया राम की

सब पर शब्द मोहिनी डाली

मंत्रमुग्ध भए सब नर-नारी

यों दिन रैन जात है बीते

लव कुश ने सब के मन जीते

वन गमन, सीता हरन, हनुमत मिलन

लंका दहेन, रावण मरण, अयोध्या पुनरागमन

सब विस्तार कथा सुनाई

राजा राम भए रघुराई

राम राज आयो सुख दायी

सुख समृद्धि श्री घर घर आई

काल चक्र के घटना क्रम में

ऐसा चक्र चलाया

राम सिया के जीवन में फिर

घोर अंधेरा छाया

अवध में ऐसा, ऐसा ऐक दिन आया

निष्कलंक सीता पे प्रजा ने

मिथ्या दोष लगाया

अवध में ऐसा, ऐसा ऐक दिन आया

चलदी सिया जब तोड़कर

सब स्नेह-नाते मोह के

पाषाण हृदयो में ना

अंगारे जगे विद्रोह के

ममतामयी माओ के

आँचल भी सिमट कर रह गए

गुरुदेव ज्ञान और नीति के

सागर भी घट कर रह गए

ना रघुकुल ना रघुकुल नायक

कोई ना सिया का हुआ सहायक

मानवता को खो बैठे जब

सभ्य नगर के वासी

तब सीता को हुआ सहायक

वन का एक सन्यासी

उन ऋषि परम उदार का

वाल्मीकि शुभ नाम

सीता को आश्रय दिया

ले आए निज धाम

रघुकुल में कुलदीप जलाए

राम के दो सूत सियने जाये

श्रोता गण जो एक राजा की पुत्री है

एक राजा की पुत्रवधू हैं

और एक चक्रवती सम्राट की पत्नी है

वही महारानी सीता

वनवास के दुखो में

अपने दिनो को कैसे काटती हैं

अपने कुल के गौरव और

स्वाभिमान की रक्षा करते हुये

किसी से सहायता मांगे बिना

कैसे अपने काम वो स्वयं करती है

स्वयं वन से लकड़ी काटती है

स्वयं अपना धान कूटती है

स्वयं अपनी चक्की पीसती हैं

और अपनी संतान को

स्वावलंबन बनने की शिक्षा कैसे देती है

अब उसकी करुण झांकी देखिये

जनक दुलारी कुलवधु दशरथ जी की

राज रानी हो के दिन वन में बिताती हैं

रहती थी घेरी जिसे दास-दासी आठो यम

दासी बनी अपनी उदासी को छूपाती है

धरम प्रवीन सती परम कुलिन सब

विधि दोशहीन जीना दुख में सिखाती हैं

जगमाता हरी-प्रिय लक्ष्मी स्वरूपा सिया

कूटती है धान भोज स्वयं बनाती है

कठिन कुल्हाड़ी लेके लकड़िया कांटती है

करम लिखेको पर काट नहीं पाती है

फूल भी उठाना भारी जिस सुकुमारी को था

दुख भरी जीवन का बोझ वो उठाती है

अर्धांगी ने रघुवीर की वो धरधीर

भरति है नीर नीर जलमें नेहलाती है

जिसके प्रजाके अपवादों कुचक्र में

वो पीसती है चक्की स्वाभिमान बचाती है

पालती है बच्चोकों वो कर्मयोगिनी के भाति

स्वाभिमानी स्वावलंबी सफल बनाती हैं

ऐसी सीता माता की परीक्षा लेते दुख देते

निठुर नियति को दया भी नहीं आती है

ओ…उस दुखिया के राज-दुलारे

हम ही सूत श्री राम तिहारे

ओ सीता माँ की आँख के तारे

लव-कुश है पितु नाम हमारे

हे पितु भाग्य हमारे जागे

राम कथा कही राम के आगे..

गायक :- रविन्द्र जैन, कविता कृष्णमूर्ति, हेमलता

TV Seriel :- रामायण ( रामानंद सागर कृत ) 

संगीत :- रविन्द्र जैन

2. हम कथा सुनाते राम सकल – विडियो

आइए दोस्तों अब इस सुंदर गीत का आनंद विडियो के माध्यम से लेते हैं। इस सुंदर गीत को विडियो के माध्यम से सुनने व देखने के लिए नीचे क्लिक करें :-

 

3. हम कथा सुनाते राम सकल MP3 रिंगटोन डाउनलोड

आइए दोस्तों इस सुंदर गीत का MP3 रिंगटोन डाउनलोड करते हैं। इस सुंदर गीत का MP3 रिंगटोन डाउनलोड करने के लिए नीचे क्लिक करें :-

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4. Ham Katha Sunate Ram Sakal Lyrics in English

Om shree maha

Ganadhi patey namah

Om shree umamaheshawara bhya namah

Vaalmiki gurudeva ke

Kar pankaj teer naam

Sumire maat saraswati

Hum par hou Sahay

Maat pita ki vandana

Karte baaram baar

Gurujan raaja praja

Jan naman karo swikaar

Hum katha sunate

Ram sakal gundham ki

Hum katha sunate

Ram sakal gundham ki

Yeh ramayan hai

Punya katha shrii ram ki

Jambu dweepe bharat khande

Aryavarte bharat varshe

Ek nagari hai vikyat ayodhya naam ki

Yehi janma bhoomi hai

Param pujya shri ram ki…

Hum katha sunate

Ram sakal gun dham ki

Yeh ramayan hai

Punya katha shri ram ki……

Yeh ramayan hai

Punya katha shri ram ki

Raghukul ke raja dharmatma

Chakravarti dashrath punyatma

Santati hetu yagya karvaya

Dharm yagya ka shubh phal paya

Nrip ghar janme char kumaraa

Raghukul deep jagat aadhaara…

Charon bhraton ke shubh naama

Bharat shatrughna lakshman rama…

Guru vashishtha ke gurukul jaake

Alpa kaal vidya sab paake

Puran huyi shiksha

Raghuvar puran kaam ki

Hum katha sunate

Ram sakal gun dham ki

Yeh ramayan hai

Punya katha shri ram ki

Yeh ramayan hai

Punya katha shrii ram ki

Mrudu swar komal bhavana

Rochak prastuti dhang

Ek ek kar varnan kare

Lav-kush ram prasang

Vishwamitr mahamuni raayi

Inke sang chale do bhai

Kaise ram tadka

Kaise naath ahilya taari

Munivar vishwamitra tab

Sang le lakshman ram

Siya swayamvar dekhne

Pahunche mithila dham

Janakpur utsav hain bhaari

Janakpur utsav hain bhaari

Apne var ka chayan

Karegi sita sukumari

Janakpur utsav hain bhaari

Janak raj ka kathin pran

Suno suno sab koi

Jo tode shiv dhanush ko

So sita pati hoye

Jo tore shiv dhanush kathor

Sab ki drishti ram ki oar

Ram vinaygun ke avtaar

Guruvar ki aagya siroddhar

Sehej bhaav se shiv dhanu toda

Janak suta sang naata joda

Raghuvar jaisa aur na koi..

Sita ki samata nahin hoyi

Dou kare parajit kaanti koti rati kaam ki

Hum katha sunate ram sakal gundham ki

Yeh ramayan hai punya katha siya ram ki

Sab par shabd mohini daali

Mantra mugdha bhaaye sab nar naari

Yun din rain jaat hain beete

Lav-kush ne sab ke mann jeete

Van gaman sita haran hanumat milan

Lanka dehen ravan maran

Ayodhya punara agaman

Sab vistar katha sunaayi

Raja ram bhaye raghuraai

Ram-raj aayo sukh daayi

Sukh samriddhi shrii gharghar aayi

Kaal chakra ne ghatna kram mein

Aisa chakra chalaya

Ram siya ke jeevan mein

Phir ghor andhera chaaya!!

Avadh mein aisa aisa ek din aaya

Nishkalank sita pe praja ne

Mithya dosh lagaya!!

Avadh mein aisa aisa ek din aaya

Chal di siya jab todkar

Sab sneh-naatae moh ke

Pashan hridayon mein na

Angaare jage vidhroha ke

Mamtamayi maaonke

Aanchal bhi simat kar reh gaye

Gurudev gyan aur neeti ke

Sagar bhi ghat kar reh gaye….

Na raghukul na raghukul nayak

Koi na hua sia ka Hua sahayak…

Maanavta ko kho baithe jab

Sabhya nagar ke vaasi

Tab sita ko hua sahayak

Van ka ek sanyaasi….

Un rishi param udaar ka

Valmiki shubh naam

Sita ko aashray diya

Le aaye nij dham..

Raghukul mein kuldeep jalaye..

Ram ke do sut siya ne jaaye..

Shrota gan jo ek raja ki putri hain

Ek raja ki putrvadhu hain

Aur ek chakravati samrat ki patni hain

Wohi maharani sita

Vanvaas ke dukho mein

Apne dino kaise kaat ti hain

Apne kul ke gaurav aur

Swabhimaan ki raksha karte huye

Kisi se sahayta maange bina

Kaise apna kaam woh swayam karti hain…

Swayam van se lakdi kaant ti hain

Swayam apna dhaan kootti hain

Swayam apni chakki peesti hain

Aur apni santaanon ko

Swavalambi banane

Ki shiksha kaise deti hain

Ab uski karun jhaani dekhiye.

Janak dulari kulavadhu

Dasharath ji ki raj rani ho

Ke din van mein bitati hain……

Rehti thi gheri jise

Das- dasi aatho yam

Daasi bani apni

Udaasi ko chupati hain…

Dharam praveena

Sati param kulina sab

Vidhi dosh-hina

Jina dukh mein sikhati hain

Jagmata hari-priya lakshmi swarupa siya

Koonti te hain dhaan bhoj swayam banati hain

Kathin kulhadi leke lakdiya kaant ti hain

Karam likhe ko par kaant nahi paati hain…

Phool bhi uthana bhaari jis sukumari ko tha

Dukh bhari jeevan Ka Bojh woh uthathi hain

Ardhangi raghuveer ki woh dhare dheer

Bharti hai neer neer jal mein nehlati hain

Jiske praja ke apvaadon

Kuchakra mein

Peesti hai chaaki

Swabhiman bachati hain….

Paalti hain bachchon ko

Woh karmayogini ke bhaati

Swavalambi safal banati hain

Aisi sita mata ki pariksh leti

Nithur niyati ko daya bhi nahi aati hain…

O…us dukhiya ke raj-dulaare…

Hum hi sut shrii ram tihaare….

O….sita maa ki aankh ke taaree …

Lav-kush hain pitu naam hamare….

He pitu bhagya hamare jaage

Ram katha kahe ram ke aage…

 

Singer : Ravindra Jain, Kavita Krishnamurthy, Hemlata

TV Seriel : Ramayan ( By Ramanand Sagar )

Music : Ravindra Jain

 

दोस्तों आज हमने Devotional Lyrics हम कथा सुनाते राम सकल – हिंदी व अंग्रेजी में जाना। साथ ही mp3 रिंगटोन व विडियो भी देखा। आप अपनी राय या सुझाव हमें कामेंट बाक्स में बता सकते हैं।

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