Pretraj Sarkar ki Aarti: श्री प्रेतराज सरकार की आरती व चालीसा पाठ

श्री प्रेतराज सरकार की आरती व चालीसा। आइए दोस्तों आज के लेख में हम श्री प्रेतराज सरकार की आरती व चालीसा पाठ हिंदी में जानते हैं :-

1. श्री प्रेतराज सरकार की आरती

जय प्रेतराज कृपाल मेरी, अरज अब सुन लीजिये |

मैं शरण तुम्हारी आ गया हूँ , नाथ दर्शन दीजिये ||

मैं करूँ विनती आपसे अब तुम दयामय चित्त धरो |

चरणों का ले लिया आसरा, प्रभु वेग से दुःख मेरा हरो ||

सिर पर मुकुट कर में धनुष, गल बीच मोतियन माल है |

जो करें दर्शन प्रेम से, सब कटत भाव के जाल है ||

जब पहन दस्तर खडग बाई बगल में ढाल है |

ऐसा भयंकर रूप जिसको देख डरपत काल है ||

अति प्रबल सेना विकत योद्धा, संग में विकराल है|

सब भूत प्रेत पिशाच बाँधे, कैद करते हाल है ||

तव रूप धरते वीर का, करते तैयारी चलन की |

संग में लडाके जवान, जिनकी थाह नहीं बलन की ||

तुम सब तरह सामर्थ्य हो, सकल सुख के धाम हो |

दुष्टों के मारनहार हो, भक्तों के पूरण काम हो ||

मैं हूँ मति का मंद मेरी, बुद्धि को निर्मल करो |

अज्ञान का अँधेरा उर में ज्ञान का दीपक धरो ||

सब मनोरथ सिद्ध करते, जो कोई सेवा करे |

तंदुल, बूरा , घ्रत, मेवा, भेंट ले आगे धरे ||

सुयश सुनके आपका, दुखिया तो आये दूर से |

सब स्त्री अरु पुरुष आकर पड़े हैं चरण हुजूर के ||

लीला है अदभुत आपकी महिमा तो अपरंपार है |

मैं ध्यान जिस दिन धरत हूँ, रच देना मंगलाचार है ||

सेवक गणेशपुरी महंत जी की, लाज तुम्हारे हाथ है |

करना खता सब माफ़ उनकी, देना हरदम साथ है||

दरबार में आयो अभी, सरकार में हाजिर खड़ा |

इंसाफ मेरा अब करो, चरणों में आकर गिर पड़ा ||

अर्जी बमूजिब दे चुका, अब गौर इस पर कीजिये |

तत्काल इस पर हुक्म लिख दो, फैसला कर दीजिये ||

महाराज की यह स्तुति, कोई नियम रूप से गाया करे |

सब सिद्ध कारज होये, उनके रोग पीड़ा सब हरे ||

भक्त सेवक आपके, उनको नहीं विसराइये |

जय जय मनायें आपकी, बेड़े को पार लगाइये ||

-: श्री प्रेतराज सरकार की आरती समाप्त :-

 

2. श्री प्रेतराज चालीसा

!! दोहा !!

गणपति की कर वन्दना, गुरु चरणन चित लाए !

प्रेतराज जी का लिखूँ, चालीसा हरषाए !!

जय जय भूतादिक प्रबल, हरण सकल दुख भार !

वीर शिरोमणि जयति, जय प्रेतराज सरकार !!

!! चोपाई !!

जय जय प्रेतराज जगपावन !

महाप्रबल दुख ताप नसावन !!

विकट्वीर करुणा के सागर !

भक्त कष्ट हर सब गुण आगर !!

रतन जडित सिंहासन सोहे !

देखत सुर नर मुनि मन मोहे !!

जगमग सिर पर मुकुट सुहावन !

कानन कुण्डल अति मनभावन !!

धनुष किरपाण बाण अरु भाला !

वीर वेष अति भ्रकुटि कराला !!

गजारुढ संग सेना भारी !

बाजत ढोल म्रदंग जुझारी !!

छ्त्र चँवर पंखा सिर डोलें !

भक्त वृन्द मिल जय जय बोलें !!

भक्त शिरोमणि वीर प्रचण्डा !

दुष्ट दलन शोभित भुजदण्डा !!

चलत सैन काँपत भु-तलह !

दर्शन करत मिटत कलिमलह !!

घाटा मेंहदीपुर में आकर !

प्रगटे प्रेतराज गुण सागर !!

लाल ध्वजा उड रही गगन में !

नाचत भक्त मगन हो मन में !!

भक्त कामना पूरन स्वामी !

बजरंगी के सेवक नामी !!

इच्छा पूरन करने वाले !

दुख संकट सब हरने वाले !!

जो जिस इच्छा से हैं आते !

मनवांछित फल सब वे हैं पाते !!

रोगी सेवा में जो हैं आते !

शीघ्र स्वस्थ होकर घर हैं जाते !!

भूत पिशाच जिन वैताला !

भागे देखत रुप विकराला !!

भोतिक शारीरिक सब पीडा !

मिटा शीघ्र करते हैं क्रीडा !!

कठिन काज जग में हैं जेते !

रक्त नाम पूरा सब होते !!

तन मन से सेवा जो करते !

उनके कष्ट प्रभु सब हरते !!

हे करुणामय स्वामी मेरे !

पडा हुआ हूँ दर पे तेरे !!

कोई तेरे सिवा ना मेरा !

मुझे एक आश्रय प्रभु तेरा !!

लज्जा मेरी हाथ तिहारे !

पडा हुआ हूँ चरण सहारे !!

या विधि अरज करे तन-मन से !

छुटत रोग-शोक सब तन से !!

मेंहदीपुर अवतार लिया है !

भक्तों का दुख दूर किया है !!

रोगी पागल सन्तति हीना !

भूत व्याधि सुत अरु धन छीना !!

जो जो तेरे द्वारे आते !

मनवांछित फल पा घर जाते !!

महिमा भूतल पर छाई है !

भक्तो ने लीला गाई है !!

महन्त गणेश पुरी तपधारी !

पूजा करते तन-मन वारी !!

हाथों में ले मुदगर घोटे !

दूत खडे रहते हैं मोटे !!

लाल देह सिन्दूर बदन में !

काँपत थर-थर भूत भवन में !!

जो कोई प्रेतराज चालीसा !

पाठ करे नित एक अरु हमेशा !!

प्रातः काल स्नान करावै !

तेल और सिन्दूर लगावै !!

चन्दन इत्र फुलेल चढावै !

पुष्पन की माला पहनावै !!

ले कपूर आरती उतारें !

करें प्रार्थना जयति उचारें !!

उन के सभी कष्ट कट जाते !

हर्षित हो अपने घर जाते !!

इच्छा पूरन करते जन की !

होती सफल कामना मन की !!

भक्त कष्ट हर अरि कुल घातक !

ध्यान करत छूटत सब पातक !!

जय जय जय प्रेताधिराज जय !

जयति भुपति संकट हर जय !!

जो नर पढत प्रेत चालीसा !

रहते ना कबहुँ दुख लवलेशा !!

कह ‘सुखराम’ ध्यानधर मन में !

प्रेतराज पावन चरनन में !!

!! दोहा !!

दुष्ट दलन जग अघ हरन ! समन सकल भव शूल !!

जयति भक्त रक्षक सबल ! प्रेतराज सुख मूल !!

विमल वेश अंजनि सुवन ! प्रेतराज बल धाम !!

बसहु निरन्तर मम ह्र्दय ! कहत दास सुखराम !!

-: श्री प्रेतराज चालीसा समाप्त :-

 

दोस्तों आज के लेख में हमने श्री प्रेतराज सरकार की आरती व चालीसा पाठ जाना। आप अपनी राय या सुझाव हमें कामेंट बाक्स में बता सकते हैं।

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