Saraswati Chalisa ke Fayde: श्री सरस्वती चालीसा के 14 अद्भुत फायदे

श्री सरस्वती माता ज्ञान और बुद्धि की देवी हैं, श्री सरस्वती चालीसा के पाठ से अद्भुत चमत्कारिक फायदे व लाभ व्यक्ति के जीवन में देखने को मिलता है। श्री सरस्वती चालीसा का पाठ सभी लोगों के लिए उपयोगी साबित होता है। आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि आज के लेख में हम क्या क्या जानेंगे :-

  1. श्री सरस्वती चालीसा का क्या महत्व है ?
  2. श्री सरस्वती चालीसा के पाठ से क्या फायदे व लाभ मिलता है?
  3. श्री सरस्वती चालीसा लिरिक्स

1. श्री सरस्वती चालीसा का क्या महत्व है ?

श्री सरस्वती चालीसा का पाठ सच्चे मन व पूर्ण श्रद्धा भक्ति के साथ करने से लोगों के जीवन में कई चमत्कारिक परिवर्तन देखने को मिलता है। श्री सरस्वती चालीसा सभी वर्ग के लोगों के लिए फायदेमंद होता है। श्री सरस्वती माता ज्ञान विद्या बुद्धि और कला की देवी हैं। श्री सरस्वती चालीसा के पाठ से मां सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। मां की कृपा से व्यक्ति के जीवन में किसी भी तरह का अभाव नहीं रहता है। सुख सौभाग्य समृद्धि बना रहता हैं। ज्ञान विवेक की प्राप्ति होती है। व्यक्ति तेजस्वी बनता है।

2. श्री सरस्वती चालीसा के पाठ से क्या फायदे व लाभ मिलता हैं ?

श्री सरस्वती चालीसा के पाठ से सभी वर्ग के लोगों को मनवांछित लाभ प्राप्त होता है। आइए जानते हैं कि श्री सरस्वती चालीसा के पाठ से कौन कौन से फायदे प्राप्त होता है :-

1. विद्यार्थी वर्ग के लिए

श्री सरस्वती चालीसा का पाठ विद्यार्थी वर्ग के लिए विशेष फायदेमंद होता है। श्री सरस्वती माता ज्ञान और बुद्धि के देवी हैं। श्री सरस्वती चालीसा के पाठ से एकाग्रता आती है। मन एवं दिमाग शांत रहता है, दिमागी संतुलन ठीक रहता है। पढ़ा हुआ अच्छे से याद रहता है, जिससे पढ़ाई में मन लगता है। जब पढ़ाई में मन लगता है तो सफलता भी मिलती है। अंक अच्छे आते हैं।

2. युवा वर्ग के लिए

युवा वर्ग में कोई कंपटीशन परीक्षा की तैयारी कर रहा होता है, तो कोई अपना जॉब करता है। कोई अपना खुद का बिजनेस करता है। श्री सरस्वती चालीसा का पाठ सभी के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होता है। इससे मन शांत रहता है दिमागी संतुलन बना रहता है जिससे सभी को अपने कार्य में इच्छित सफलता मिलती है।

3. बुजुर्गों के लिए

बुजुर्गों के लिए तो श्री सरस्वती चालीसा का पाठ बेहद खास होता है। बुजुर्गों के पास जींदगी के उतार चढ़ाव की लम्बी व बहुत खास अनुभव उनके पास होते हैैं। इसके बावजूद युवाओं और बुजुर्गों में सही तालमेल नहीं बन पाता है। जनरेशन गैप के नाम पर बुजुर्गों को उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है।

श्री सरस्वती चालीसा के नियमित पाठ से बुजुर्गों की मन:स्थिति में मजबूती आती है। जिससे वह घर परिवार व युवाओं के साथ आसानी से तालमेल बना सकता है।

4. सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए

सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए श्री सरस्वती चालीसा का पाठ बहुत उपयोगी है। श्री सरस्वती चालीसा के पाठ से घर परिवार में संबंध अच्छा बनता है। एकता स्थापित होता है।

श्री सरस्वती माता की कृपा से सुंदर एवं गुणवान संतान की प्राप्ति होती है।

5. अज्ञानी व्यक्तियों के लिए

श्री सरस्वती माता ज्ञान और बुद्धि के देवी हैं। श्री सरस्वती चालीसा के पाठ से ज्ञान, विद्या, बुद्धि की प्राप्ति होती है। अविवेकी अज्ञानी व्यक्ति भी मां के कृपा से बुद्धिमान और ज्ञानी बन जाता है।

6. पापों से मुक्ति मिलती है

सरस्वती चालीसा के पाठ से पाप नाष होती है। जब व्यक्ति ज्ञानी और बुद्धिमान बनता है तो वह सदमार्ग पर चलता है। पुण्य कमाता है। पुण्य के प्रभाव से पाप का क्षरण होता है।

7. कलाकारों के लिए

जो व्यक्ति संगीत एवं कला के क्षेत्र में नाम कमाना चाहता है, उसके लिए श्री सरस्वती चालीसा का पाठ बहुत ही उपयोगी है। इसके नियमित पाठ से कला के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां हासिल करने में मदद मिलती है।

8. शत्रु पर विजय प्राप्ति के लिए

श्री सरस्वती माता की कृपा से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है। शत्रुता समाप्त होती है। श्री सरस्वती माता हमारे भला के लिए हमारे शत्रु पर भी कृपा करते हैं। उन्हें सद्बुद्धि प्रदान करते हैं। इस प्रकार मां की कृपा से शत्रु भी मित्र बन जाता है।

9. अनजान खुशीयां

श्री सरस्वती चालीसा के पाठ से मां सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। साधक का सदैव भला ही होता है। कई बार लग सकता है कि हमारा अहित हो रहा है। पर उस अहित में भी हमारी भलाई छिपा रहता है, जिसका एहसास हमें बाद में समझ आता है। जैसे श्री राम को वनवास का कष्ट सहना पड़ा परंतु उन्होंने वनवास के दौरान ही बड़े बड़े राक्षसों दानवों का वध किया, जिससे समाज का कल्याण हुआ। और इस कार्य से उनका पराक्रम यश किर्ति तीनों लोकों में फैला।

10. दुर्गम कार्य में

श्री सरस्वती चालीसा के पाठ से दुर्गम कठिन कार्य भी सुगमतापूर्वक होने लगता है। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति इतना मजबूत और बुद्धिमान बनता है कि कठिन से कठिन कार्य को भी आसानी से कर सकता है।

11. बुरी साया बुरी शक्तियों में

इसके नियमित पाठ से सभी प्रकार के भूत प्रेत बाधा, अला बला से निजात मिलती है। जादू टोना की शक्ति दुर होती है।

12. गरीबी दरिद्रता दूर होती है

श्री सरस्वती माता की कृपा से सच्चे मन से किया गया हर कार्य में इच्छित सफलता मिलती है। इससे जो गरीब दरिद्र है , उनकी गरीबी दूर होती है। धन प्राप्ति का योग बनता है।

13. संतानहीन को संतान सुख की प्राप्ति

श्री सरस्वती चालीसा का पाठ पुर्ण श्रद्धा के साथ करने से संतानहीन व्यक्ति को सुंदर गुणवान संतान की प्राप्ति होता है।

14. जीवन में खुशियां आती है

श्री सरस्वती चालीसा के पाठ से जीवन की सारे कष्ट संकट विपत्तियां दूर होती है। घर परिवार एवं जीवन में खुशियां आती है।

 

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3. श्री सरस्वती चालीसा

॥दोहा॥

जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि।

बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥1

पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।

दुष्जनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु॥2

॥चौपाई॥

जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।

जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥ 1

जय जय जय वीणाकर धारी।

करती सदा सुहंस सवारी॥2

रूप चतुर्भुज धारी माता।

सकल विश्व अन्दर विख्याता॥3

जग में पाप बुद्धि जब होती।

तब ही धर्म की फीकी ज्योति॥4

तब ही मातु का निज अवतारी।

पाप हीन करती महतारी॥5

वाल्मीकिजी थे हत्यारा।

तव प्रसाद जानै संसारा॥6

रामचरित जो रचे बनाई।

आदि कवि की पदवी पाई॥7

कालिदास जो भये विख्याता।

तेरी कृपा दृष्टि से माता॥8

तुलसी सूर आदि विद्वाना।

भये और जो ज्ञानी नाना॥9

तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा।

केव कृपा आपकी अम्बा॥10

करहु कृपा सोइ मातु भवानी।

दुखित दीन निज दासहि जानी॥11

पुत्र करहिं अपराध बहूता।

तेहि न धरई चित माता॥12

राखु लाज जननि अब मेरी।

विनय करउं भांति बहु तेरी॥13

मैं अनाथ तेरी अवलंबा।

कृपा करउ जय जय जगदंबा॥14

मधुकैटभ जो अति बलवाना।

बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना॥15

समर हजार पाँच में घोरा।

फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा॥16

मातु सहाय कीन्ह तेहि काला।

बुद्धि विपरीत भई खलहाला॥17

तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।

पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥18

चंड मुण्ड जो थे विख्याता।

क्षण महु संहारे उन माता॥19

रक्त बीज से समरथ पापी।

सुरमुनि हदय धरा सब काँपी॥20

काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा।

बारबार बिन वउं जगदंबा॥21

जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा।

क्षण में बाँधे ताहि तू अम्बा॥22

भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई।

रामचन्द्र बनवास कराई॥23

एहिविधि रावण वध तू कीन्हा।

सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा॥24

को समरथ तव यश गुन गाना।

निगम अनादि अनंत बखाना॥2

विष्णु रुद्र जस कहिन मारी।

जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥26

रक्त दन्तिका और शताक्षी।

नाम अपार है दानव भक्षी॥27

दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।

दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥28

दुर्ग आदि हरनी तू माता।

कृपा करहु जब जब सुखदाता॥29

नृप कोपित को मारन चाहे।

कानन में घेरे मृग नाहे॥30

सागर मध्य पोत के भंजे।

अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥31

भूत प्रेत बाधा या दुःख में।

हो दरिद्र अथवा संकट में॥32

नाम जपे मंगल सब होई।

संशय इसमें करई न कोई॥33

पुत्रहीन जो आतुर भाई।

सबै छांड़ि पूजें एहि भाई॥34

करै पाठ नित यह चालीसा।

होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा॥35

धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै।

संकट रहित अवश्य हो जावै॥36

भक्ति मातु की करैं हमेशा।

निकट न आवै ताहि कलेशा॥37

बंदी पाठ करें सत बारा।

बंदी पाश दूर हो सारा॥38

रामसागर बाँधि हेतु भवानी।

कीजै कृपा दास निज जानी।39

॥दोहा॥

मातु सूर्य कान्ति तव, अन्धकार मम रूप।

डूबन से रक्षा करहु परूँ न मैं भव कूप॥1

बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु।

राम सागर अधम को आश्रय तू ही देदातु॥2

दोस्तों आज के लेख में हमने श्री सरस्वती चालीसा के पाठ से होने वाले फायदे व लाभ के बारे में जानकारी प्राप्त किया। आप अपनी राय या सुझाव हमें कामेंट बाक्स में बता सकते हैं। हमारे सभी आर्टिकल का लिस्ट देखने के लिए साइटमैप पर क्लिक करें

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