श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा पढ़ने के 10 अद्भुत फायदे
श्री विन्ध्येश्वरी माता की महिमा अपार है। श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा के पाठ से अनेकों लाभ देखने को मिलता है। आज के लेख में हम श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा का पाठ सच्चे मन से करने से कौन कौन से लाभ मिलता है ? इससे जीवन में क्या फायदे होते हैं , यह जानेंगे।
श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा पढ़ने के फायदे व लाभ
श्री विन्ध्येश्वरी माता अपने भक्तों से अपार प्रेम करते हैैं। लेकिन श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा के पाठ से लाभ तभी मिल पाएगा, जब चालीसा का पाठ पूर्ण श्रद्धा भक्ति व सच्चे मन से किया जाए। आइए जानते हैं श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा के पाठ से क्या फायदे व लाभ मिलता है :-
1. श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा के पाठ से मां विन्ध्येश्वरी की कृपा प्राप्त होती है।
2. श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा के पाठ से सभी प्रकार के दुःख दर्द तकलीफ दूर होती है।
3. श्री विन्ध्येश्वरी माता की कृपा से धन प्राप्ति के योग बनते हैं। गरीबों की गरीबी दूर होती है।
4. श्री विन्ध्येश्वरी माता की कृपा सदैव अपने भक्तों पर बना रहता है। मां लक्ष्मी की भांति सब प्रकार से सुख देते हैं और दूर्गा रुप में दुष्टों का विनाष करते हैं।
5. श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा पढ़ने से सभी प्रकार के रोग शोक दूर होते हैं। व्यक्ति दिर्घायु बनता है।
6. श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा पढ़ने से सभी प्रकार के परेशानियां विपत्तियां दूर होती है। व्यक्ति का मनइच्छित काम बनने लगता है।
7. जो व्यक्ति सच्चे मन से ध्यान लगाकर मां का चालीसा पाठ करता है, उसका सदा कल्याण होता है। ऐसे व्यक्ति के पास विपत्तियां सपने में भी नहीं आती।
8. श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा पढ़ने से सभी प्रकार के शारीरिक कष्ट, रोग व्याधि दूर होती है।
9. श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा का पाठ सच्चे मन से श्रद्धा भक्ति के साथ विधिपूर्वक करने से पुत्रहीन व्यक्ति को गुणवान पुत्र की प्राप्ति होती है।
10. श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा के पाठ से व्यक्ति की सारी कामनाएं पूर्ण होती है। जो जिस फल की इच्छा से मां का चालीसा पाठ करता है। मां उनकी मनोकामना निश्चय ही पूर्ण करते हैं।
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श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा
दोहा
नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदंब।
संत जनों के काज में, करती नहीं बिलंब॥
चौपाई
जय जय जय विन्ध्याचल रानी।
आदि शक्ति जगबिदित भवानी॥ 1
सिंह वाहिनी जय जगमाता।
जय जय जय त्रिभुवन सुखदाता॥ 2
कष्ट निवारिनि जय जग देवी।
जय जय संत असुर सुरसेवी॥ 3
महिमा अमित अपार तुम्हारी।
सेष सहस मुख बरनत हारी॥ 4
दीनन के दु:ख हरत भवानी।
नहिं देख्यो तुम सम कोउ दानी॥ 5
सब कर मनसा पुरवत माता।
महिमा अमित जगत विख्याता॥ 6
जो जन ध्यान तुम्हारो लावे।
सो तुरतहिं वांछित फल पावे॥ 7
तू ही वैस्नवी तू ही रुद्रानी।
तू ही शारदा अरु ब्रह्मानी॥ 8
रमा राधिका स्यामा काली।
तू ही मात संतन प्रतिपाली॥ 9
उमा माधवी चंडी ज्वाला।
बेगि मोहि पर होहु दयाला॥ 10
तुम ही हिंगलाज महरानी।
तुम ही शीतला अरु बिज्ञानी॥ 11
तुम्हीं लक्ष्मी जग सुख दाता।
दुर्गा दुर्ग बिनासिनि माता॥ 12
तुम ही जाह्नवी अरु उन्नानी।
हेमावती अंबे निरबानी॥ 13
अष्टभुजी बाराहिनि देवा।
करत विष्णु शिव जाकर सेवा॥ 14
चौसट्टी देवी कल्याणी।
गौरि मंगला सब गुन खानी॥ 15
पाटन मुंबा दंत कुमारी।
भद्रकाली सुन विनय हमारी॥ 16
बज्रधारिनी सोक नासिनी।
आयु रच्छिनी विन्ध्यवासिनी॥ 17
जया और विजया बैताली।
मातु संकटी अरु बिकराली॥ 18
नाम अनंत तुम्हार भवानी।
बरनै किमि मानुष अज्ञानी॥ 19
जापर कृपा मातु तव होई।
तो वह करै चहै मन जोई॥ 20
कृपा करहु मोपर महारानी।
सिध करिये अब यह मम बानी॥ 21
जो नर धरै मातु कर ध्याना।
ताकर सदा होय कल्याणा॥ 22
बिपत्ति ताहि सपनेहु नहि आवै।
जो देवी का जाप करावै॥ 23
जो नर कहे रिन होय अपारा।
सो नर पाठ करे सतबारा॥ 24
नि:चय रिनमोचन होई जाई।
जो नर पाठ करे मन लाई॥ 25
अस्तुति जो नर पढै पढावै।
या जग में सो बहु सुख पावै॥ 26
जाको ब्याधि सतावै भाई।
जाप करत सब दूर पराई॥ 27
जो नर अति बंदी महँ होई।
बार हजार पाठ कर सोई॥ 28
नि:चय बंदी ते छुटि जाई।
सत्य वचन मम मानहु भाई॥ 29
जापर जो कुछ संकट होई।
नि:चय देबिहि सुमिरै सोई॥ 30
जा कहँ पुत्र होय नहि भाई।
सो नर या विधि करै उपाई॥ 31
पाँच बरस सो पाठ करावै।
नौरातर महँ बिप्र जिमावै॥ 32
नि:चय होहि प्रसन्न भवानी।
पुत्र देहि ताकहँ गुन खानी॥ 33
ध्वजा नारियल आन चढावै।
विधि समेत पूजन करवावै॥ 34
नित प्रति पाठ करै मन लाई।
प्रेम सहित नहि आन उपाई॥ 35
यह श्री विन्ध्याचल चालीसा।
रंक पढत होवै अवनीसा॥ 36
यह जनि अचरज मानहु भाई।
कृपा दृष्टि जापर ह्वै जाई॥ 37
जय जय जय जग मातु भवानी।
कृपा करहु मोहि पर जन जानी॥ 38
!! इति श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा समाप्त !!